ढेर सारा पैसा कमाने की लत में मिली ‘अपनों की बेवफाई’ | लोकतेज मनोरंजन, व्यापार, प्रादेशिक समाचार

जीवन के लिए पैसा बहुत महत्वपूर्ण है बिना किसी असफलता के जीवन यापन नहीं किया जा सकता। इस कटु सच्चाई को हम झुठला नहीं सकते। मगर कम समय में और गलत इरादे से ज्यादा पैसा कमाए जाने का कभी-कभी इतना बड़ा क्रिसमस स्मारक होता है कि मिसाल दुनियां और अपने बेगानों तक हो जाती है यही मर्म है। निर्माता पीयूष शाह और अष्टविनायक इंटरप्राइजेज की फिल्म ‘अपनों से बेवफाई’। सार्थक सिनेमा के पक्षधर और बामक़सद फिल्मों के दिग्गज अभिनेता इरफ़ान की ये आखिरी फिल्म है।

विशाल सिनेमाया फिल्मों का एक बेहतरीन अभिनेता है मगर उसकी बड़ी बड़ी ख्वाब और कम समय में सुपर स्टार बनने की चाहत और संकेत में अमीर बनने के नशे को कुदरत का ग्रीन सिग्नल नहीं मिला, समान जीवन की वजह से उसकी जिंदगी एक हाशिए पर रुक गई है .जिसकी वजह से उसकी फ्रॉस्ट्स में बढ़ोतरी हुई है, आखिरकार सबसे ज्यादा पैसे कम समय में नौकरी की लत में वो छूट कर इख्तियार कर लेती है।

विशाल की पत्नी और बच्चे ने उसे गलत काम करने से अलग कर दिया। मगर वह किसी की नहीं सुनता, जिसके लिए उसे अपने हंसते-खेलते परिवार में शामिल कर लिया जाता है, लगातार बीमारी होती है और फिर लक्वा और अंततः उसे ऐसा महसूस होता है कि ‘अपनों की बेवफाई’ ही होती है। उसे जीवन में हाथ लगा। यूँ तो इरफ़ान ने हिंदी फिल्मों में एक से एक नायाब फ़िल्में बनाईं हैं जिनमें हैंसिल, मक़बूल, मानसिह तोमर हिंदी निर्देशक दर्शकों और आलोचकों की गैलरी में सफल रहे हैं। उन्हें फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ में राष्ट्रीय पुरस्कार और भारत सरकार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में 2012 पद्मश्री से भी नवाजा गया था।

अपने देहवासन से पूर्व एक प्रेस वार्ता में अपनी इस आखिरी फिल्म ‘अपनों से बेवफाई’ के मुत्तलिक हुई चर्चा के दौरान इरफान का कहना था-

कुछ सब्जेक्ट आपके ज़ेहन का हिस्सा बन जाते हैं उन्ही में से मेरी ये फिल्म है। असली संवेदनाओं से लबालब फिल्मों की एक क्लॉस बन बनी है, जिसकी वजह से उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली है। मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म का दर्द दर्शकों को जरूर समझ आएगा।”

जेल से बेवफाई निर्माता पीयूष शाह की ड्रीम फिल्म जो 29 जून 2033 को सर्वत्र रिलीज हो रही है। इससे पूर्व पीयूष शाह हिंदी, मराठी भोजपुरी और अंग्रेजी फिल्में छोड़ कर जाना चाहते हैं। वह सु स्थिर निर्माता हैं। उनका कहना है- ”मैं बहुत प्रोफेशनल प्रोडूसर हूं. फिल्म उद्योग के रुझान और नब्ज़ को ध्यान में रखते हुए, फिल्म फिल्में बनाने वालों ने मेरी यह मार्कल फिल्म बनाई है, जो दर्शकों को पसंद आएगी, ऐसा मेरा विश्वास है”।

‘अपनों से बेवफाई’ के लेखक निर्देशित किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं ब्रून्स मराठी नाट्य से जुड़े रहे कभी लेखक तो कभी निर्देशित के रूप में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। गोलमाल, चागुन, गप्पा टप्पा डिटेक्टिव मराठी नाटकों के अतिरिक्त प्रकाश भालेकर ने आयला लाच्या, झाला रे, गोटवला, गंधाली और पेज मराठी फिल्मों का निर्देशन किया है। जो सफल हो रहे हैं.

डेल्ही से बेवफाई के निर्माता और निर्देशक अपनी पहली हिंदी फिल्म बना रहे हैं। उनकी स्टोरी नरेशन और शानदार विजनरी होने की वजह से इरफान जैसे अलग-अलग प्रोजेक्ट आर्टिस्ट के साथ फिल्म बनाना संभव हो पाया। बकौल प्रकाश भालेकर के..इरफ़ान की दुकान से बेवफाई महर फिल्म में सच्चाई नहीं है। वह समर्पित और सहज और बिटकॉइन अभिनेता थे, उनके साथ मेरा बड़ा सुखद अनुभव रहा काश में कुछ फिल्में कर पाता।

कॉलेज से बेफ़ाई में इरफ़ान की मुख्य भूमिका के अतिरिक्त ग्लोरी, आर्यन, पायल, राज गौतम, ऐनी राजवंशिका की भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं। डी.ओ.पी.चंद्रिका प्रसाद, गीत इब्राहिम अश्क और संगीत बप्पी लाहिरी का है।

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