फिल्म समीक्षा- ‘ज़रा हटके ज़रा बचके’ विक्की-सारा के मनोरंजन से भरपूर धमाल (मूवी समीक्षा- ज़रा हटके ज़रा बचके…)

कई बार फिल्मों के टाइटल से ही फिल्मों के अलग होने का अंदाज़ लग जाता है। वाकी में फिल्म में सारा अली खान और विक्की कौशल की जोड़ी दर्शकों को फुल इंटरटेन करने के साथ एक संदेश भी देती है। पहली बार साथ में स्क्रीन शेयर कर रही यह जोड़ी आपके पूरे शबाब में नजर आती है। एक मध्यम वर्गीय परिवार की पहचान और उनका एक घर होने का सपना बहुत मायने रखता है इसे बख़ूबी दिखाया गया है। साथ में ‘लव स्टोरी’ फिल्म का गाना देखा है मैंने देखा है एक सपने के फूल के शहर में अपना घर है… कपल के सपने को क्वैक्स और जंगल को छूता भी है।

निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने बेहद ख़ूबसूरती से एक मिडिल क्लास परिवार के सपनों को पर्दे पर झूलने की कोशिश की है। पिक्चर और सौम्या बने विक्की-सारा ने लाजवाब किया है। पति-पत्नी की ज़रूरतों, परिवार और घर की ज़रूरतों से जूझते दोनों का काम काबिल-ए-तारीफ़ है।

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विक्की एक कंजूस पति होने के साथ अपनी पत्नी पर भरपूर प्यार लुटाने वाले प्रेमी वाला अंदाज़ भी बख़ूबी चुनती हैं। सारा अली भी एक घर पाने की ज़िद में किस कदर आगे बढ़ते हैं वह देखते हैं। कहानी बस इतनी सी है कि वीडियो और सौधमा एक छोटे से घर में रहते हैं, वहीं पर उनके मामा-मामी ने भी अपना डेरा जमा लिया है और उनके बेडरूम में छह महीने से रह रहे हैं। लाइटर जोड़ों को प्यार के लिए व्यक्तिगत स्थान भी नहीं मिल रहा है। घर के हाॅल में ही दोनों जमीन पर चादर ओढ़े हुए हैं और अपने ख़्वाबों की ख़ूबसूरत एशियाने के सपने बुनते हैं। यह एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार है, जिसके घर बहुत छोटे हैं और सपने बहुत बड़े हैं।

फिल्म में जन आवास योजना जो सरकार की तरफ से ग़रीब और ज़रूरतमंद को घर पर भी करवाती है तंज कसा गया है। कैसे दोनों अपने घर की चाहत को पूरा करने के लिए इस हद तक जालिम हो जाते हैं कि तलाक के दहलीज पर आ जाते हैं। क्या उनके रिश्ते फिर से जुड़ गए हैं?..उन्हें घर मिल गया है?..किस तरह से उनकी तस्वीर और मुस्कान उनकी भविष्य को संजोती हैं, इसे निर्देशक ने संजीदगी से देखा है।

फिल्म के सभी पात्र अपनी मर्जी के साथ न्याय करते हैं। राकेश बेदी, नीरज सूद, सुष्मिता मुखर्जी, शारिब हाशमी, इनामुलहक सभी ने अपने रोल को बख़ूबी जिया है।
फिल्म के गाने तो पहले से ही सुपर-डुपर हिट हो गए हैं। फिर वह तेरा विनाश हो… तू फिर मुझे और क्या चाहिए… लोगों का जुबां पर चढ़ गया है। सचिन-जिगर का संगीत, अमिताभ भट्टाचार्य का गीत और अरिजीत सिंह का मिक्सचरों को गुडगुदाती है। कहानी मैत्रेय बजपेयी व रमीज इल्हाम खान ने लिखी है।

फिल्म की कहानी मध्य प्रदेश के इंदौर के इर्द-गिर्द बुनी गई है। एक तरह से आप इंदौर शहर के दर्शन कर रहे हैं और सिनेमैटोग्राफर राघव ने इस शहर की हर खूबसूरती को बड़ी शिद्दत से अपने कैमरे से दिखाया है।

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निर्माता दिनेश विजन और ज्योति देशपांडे ने वाक़ई में एक शानदार फिल्म दर्शकों को दी है, और बात है कि इसका शीर्षक ज़रा हटके है।
निर्देशक लक्ष्मण उतेकर अपनी मध्यमवर्गीय फिल्मों से जुड़ी बातों को अस्पष्ट समझते हैं, उनकी यही ख़ूबी ‘लुकाछिपी’ फिल्म में भी देखी गई थी। फिल्म थोड़ी बड़ी हो गई है, यदि वे चाहते हैं, तो इसे थोड़ा संपादित कर सकते हैं।

कलाकार- विक्की कौशल, सारा अली खान, राकेश बेदी, सुष्मिता मुखर्जी, शारिब हाशमी, इनामुलहक।
निर्देशक- लक्ष्मण उतेकर
रेटिंग: 3 ***

फोटो साभार : सोशल मीडिया

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