एनआरसी में 10 बेड की सुविधा, मनोरंजन के लिए खेलकूद की नीति व्यवस्था है

रायगढ़: भूख से मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तमनार में विधायक लाएंगे श्री चक्रधर सिंह सिदार के मुख्य अतिथि आवास पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) का उद्घाटन हुआ।

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा कुपोषित बच्चों में कुपोषण की रोकथाम एवं उपचार के लिए पोषण पुनर्वास लक्ष्य चलाया जा रहा है। इस दिशा में कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा की सबसे पहले डी फ़िक्समद से सीक्लिक तमनार में पोषण पुनर्वास केन्द्र की स्थापना की गई है। जहां तमनार एवं घरघोड़ा विकासखण्ड के कुपोषित बच्चों को नया जीवन मिलेगा। वर्तमान में यहां 10 बेड की सुविधा उपलब्ध है। उसी के साथ सुपोषित आहार की उत्तम व्यवस्था है और उसी के साथ रसोई एवं शौचालय की सुविधा भी मौजूद है। यहां बच्चों के मनोरंजन एवं खेलकूद की स्पष्ट व्यवस्था की गई है। इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को उनकी माताएं सहित सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। कलेक्टर श्री सिन्हा द्वारा कुपोषण मुक्त जिला बनाने के उद्देश्य से पुनर्वास पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना ब्लॉक स्तर पर की जा रही है। जहां गिने-चुने गंभीर कुपोषित बच्चों को एक निश्चित दिन तक विशेष निगरानी में रखा जाता है, उनका आहार आहार चयनित आकलन किया जाता है।

सीएम प्रकाश फाइल डॉ.मधुलिका सिंह ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर श्री तारन सिन्हा एवं सीईओ जिला पंचायत श्री अबिनाश मिश्रा के मार्गदर्शन में जिले में कुपोषण मुक्ति की दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीएचसी तमनार के एनआरसी केंद्र में तमनार एवं घरघोड़ा सहित दूरस्थ क्षेत्र से आने वाले कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उनकी चिकित्सा अधिकारियों की निगरानी में इलाज किया जा रहा है। यहाँ गंभीर कुपोषित बच्चों को 6 माह से 5 साल तक प्राथमिक रूप से 15 दिन तक भर्ती करके उन्हें आहार युक्त आहार देने वाले डॉक्टरों की टीम की निगरानी में उनका इलाज किया जाएगा। अति गंभीर कुपोषित होने पर बच्चों को 21 दिन तक भी रखा जाता है। इस दौरान भर्ती होने वाले बच्चों को 15 दिन तक एनआरसी में रखने वाले बच्चों का इलाज व स्पेशल डाइट चार्ट तैयार किया जाएगा। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त आहार विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है। साथ ही यहां उन्हें नि:मुक्त औषधियां भी प्रदान की जाएंगी। प्रतिदिन बच्चों का वजन कर उसी के होश से उन्हें भोजन और दवाएं दी जाएंगी। NRC से बच्चे की छुट्टी होने के बाद बच्चे का हर 15 दिन में कुल 4 बार फॉलोअप भी किया जाएगा। बच्चे के साथ एनआरसी आने वाले उसके माता-पिता या उनके साथ आने वाले परिजन को भी दिन में 2 बार भोजन और प्रतिदिन 150 रुपये के होश से 2250 रुपये की प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। साथ ही यहां प्रतिदिन स्टॉफ नर्सों द्वारा नोटिस दिए जाएंगे। जिसमें उन्हें बच्चों के निरीक्षण, टीकाकरण, पोषण और स्वच्छता से संबंधित जानकारी दी जाएगी।

इस दौरान सरपंच सुश्री गुलापी सिदार, बीडीसी श्रीमती ममता साव, श्री बिहारी लाल पटेल, श्री मानिकचंद पतायक, श्री कैलाश गुप्ता, श्री बबलू साहू, श्री धृणुजय भगत, श्री देवेन्द्र शर्मा, श्री द्वारिका ठाकुर, श्री राजेन्द्र शर्मा, श्री चतुरलाल देवांगन, स्वास्थ्य विभाग से डीपीओ श्री अतुल दांडेकर, बीएमओ डॉ.डी.एस.पैकरा, डीपीएम सुश्री रंजना पैकरा, श्रीमती मरकाम, श्री सहित धनश्याम प्रधान, श्री शशिभूषण सिंह एवं जिंदल पावर लिमिटेड से श्री ऋषिकेश शर्मा, श्री राजेश रावत अन्य जनप्रतिनिधि एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहेंगे।

स.क्र./51/ राहुल फोटो..1 से 5 तकडॉ.संजय कुमार अलंग बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में 10 जून को व्याख्यान दिए गए हैं

रायगढ़, 8 जून 2023/ संभागायुक्त डॉ.संजय कुमार अलंग छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति के विषय के विशेषज्ञों के रूप में 10 जून को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में व्याख्यान पाठ्यक्रम। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश हिन्दी, संस्थान एवं भारतीय दर्शन परिषद के संयुक्त तत्वाधान में तीन-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ.संजय कुमार अलंग का व्याख्यान छत्तीसगढ़ से संबंधित विषय पर आयोजित किया जाता है।

डॉ. अलंग छत्तीसगढ़ में गहन शोध परक कार्य और पुस्तकों के लिए स्थापित व प्रसिद्ध लेखक और विद्वान हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ में खोज के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सर्वोपरि सम्मान मिला है। छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति की किताब को एक लाख रुपये का सर्वश्रेष्ठ खोज लेखन का सर्वोच्च सम्मान मिला था।

छत्तीसगढ़ पर संजय अलंग की दस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं

इन पुस्तकों में छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति के अलावा छत्तीसगढ़ की रियासतें और ज़मींदारीयाँ, छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ और जातियाँ आदि जैसी कई सुविख्यात पुस्तकें शामिल हैं। संजय अलंग का तीन कविता संग्रह भी प्रकाशित हुआ है और उन्हें सम्मानित भी किया गया है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ पर शोध की पहचान अन्तर्राष्ट्रीय शोध हस्ताक्षर से छत्तीसगढ़ पर खोजने की ओर न केवल ध्यान आकर्षित करेंगे अपितु अब तक किए गए शोध को बड़े फलक पर मान्यता प्राप्त हो जाएगी। वे वर्तमान में बिलासपुर और सरगुजा संभाग के आयुक्त हैं और अभी उनका स्थानांतरण संभागीय आयुक्त रायपुर के पद पर हुआ है।

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