बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट: दर्शकों की आम जनता गुठलियां न गिनें, वे बस फिल्मों से मनोरंजन का ना रखें कमाई का

पिछले कुछ अरसे से फिल्म रजिस्टर के बीच अपनी फिल्मों के असली कलेक्शन की बजाय उनका वर्ल्ड वाइड ग्रॉस कलेक्शन के आंकड़े जारी करने का रुझान बढ़ा है, ताकि दर्शक उस फिल्म को ज्यादा कमाई के चलते हिट समझ सकें। लेकिन जाने-माने फिल्म ब्रोकर का कहना है कि ऑडियंस को फिल्म की कमाई से कोई मतलब नहीं होता है। उनके लिए कोई भी या तो अच्छी होती है या बुरी होती है। पेश है एक रिपोर्ट :पिछले दिनों ईद के मौके पर रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ ने जब रिलीज के पहले दिन सिर्फ 15.81 करोड़ की कमाई की तो तमाम लोग सलमान के स्टारडम पर सवाल उठाना शुरू कर दिए। लेकिन फिल्म के ब्रोकर ने इसके पहले तीन दिनों में वर्ल्ड वाइड ग्रॉस कलेक्शन के बूते इसकी एंट्री 100 करोड़ क्लब में कर दी। जबकि इंडिया कलेक्शन की बूते फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ पहले हफ्ते के बाद भी 100 करोड़ क्लब में नहीं पहुंच पाई। इससे पहले फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के रजिस्ट्रेशन ने भी अपनी फिल्म का वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन रिलीज करके फिल्म को रिलीज के चंद दिनों में ही 100 करोड़ क्लब में भेज दिया था। आपको बता दें कि फिल्म टिकटों की बिक्री से हुई कुल कमाई को ग्रॉस कलेक्शन कहते हैं। वहीं, टैक्स और दूसरे खर्च का नेट कलेक्शन तय होता है। बता दें कि पिछले कुछ अरसे में फिल्मों के मेकर वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन को जल्द से जल्द 100 करोड़ में बताएं। वहीं छोटे बजट की फिल्मों की कम कमाई के कारण उन्हें बहुत कम लोग लिया जाता है। हालांकि फिल्मों के इस कलेक्शन का इंडस्ट्री में से ही विरोध हो रहा है। जाने-माने फिल्म निर्माता व निर्देशकों का कहना है कि दर्शक फिल्म को उसकी कलेक्शन की बजाय इस वजह से देखते हैं या नकारते हैं कि वह फिल्म उन्हें कितनी पसंद आई। सोच में उनकी फिल्म की कमाई से कोई लेना देना नहीं होता।

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‘दर्शकों का कलेक्शन से क्या लेना-देना’

जाने-माने फिल्म डायरेक्टर व प्रड्यूसर हंसल मेहता ने फिल्मों के कलेक्शन के आधार पर उन्हें बिना देखे अच्छे या खराब दिखाने के बारे में राय दी है। बता दें कि पिछले दिनों हंसल की फिल्म फेज ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन ओटीटी पर लोगों ने उसे पसंद किया। बकौल हंसल, ‘हिट, फ्लॉप, नेट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, ग्रॉस बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, मल्टीप्लैक्स कलेक्शन या सिंगल स्क्रीन कलेक्शन से ऑडियंस का कोई मतलब नहीं होता है। कमाई के ये आंकड़े और उनकी सच्चाई फिल्म से जुड़े स्टेकहोल्डर्स के लिए मायने रखते हैं, जिन्होंने फिल्म को बनाने में पैसा लगाया है। दर्शकों को फिल्मों से मनोरंजन का ही नाता रखना चाहिए और उन्हें फिल्मों को उसी आधार पर अच्छा या बुरा महसूस होना चाहिए कि फिल्म उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी या नहीं। लेकिन जब मैं ऐसी बात कहता हूं, तो कुछ लोग (जिनमें से ज्यादातर मेरी फिल्में नहीं देखी जाती हैं) मेरा विरोध करने लगते हैं। यहां तक ​​कि वे मेरी बात का मतलब समझने की कोशिश भी नहीं करते।’ सोशल मीडिया पर हंसल की इस पोस्ट का तमाम लोगों ने समर्थन किया तो कईयों ने विरोध भी किया।

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‘आप फिल्म देखें, फायदा-नुकसान नहीं’

मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक अनुभव सिन्हा भी यही राय रखते हैं कि दर्शकों को फिल्मों की कलेक्शन से कोई लेना-देना नहीं चाहिए। बता दें कि अनुभव की पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म भीड़ ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई नहीं की। बकौल अनुभव, ‘फिल्मों की कमाई के बारे में बात करना दर्शकों का काम ही नहीं है और ना ही कभी था। वे कभी इस तरह की बातें नहीं करते थे। दर्शक फिल्म देखते हैं। मुझे लगता है कि दर्शकों को इतना ही करना चाहिए। वरना फिल्म को देखने और उसका आनंद लेने का जो प्रेरक होता है, वह पूरा नहीं हो सकता। आप फिल्म देख रहे हैं और उस समय सोच रहे हैं कि फिल्म का कितना बजट है, कितना नुकसान हुआ है, कितना फायदा हुआ है, शनिवार को क्या हुआ सोमवार को क्या होगा, इस बीच फिल्म कहीं खो जाती है। अब दर्शकों ने सोशल मीडिया की देखी फिल्म को समझने के नए-नए तरीके सीखने के लिए हैं। वे अब पहले और सभी हॉफ पर चर्चा कर रहे हैं। क्या पहले कभी किसी ने बताया था कि यह फिल्म स्लो या फास्ट है? उनके लिए फिल्म अच्छी या बुरी रही थी। दर्शकों का इतना ही काम होता है। मैं दर्शकों से यही कहना चाहता हूं कि आप मेरा काम ना करें, आप बस फिल्म को देखकर अपना मनोरंजन करें।’

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