
झारखण्ड न्यूज डेस्क, जगन्नाथपुर परिसर में व्यवसाय करने वाली योजना से इस बार शुल्क लिया जाएगा। इससे इस बात की आशंका है कि फेयरनेस में आने वाले रिश्तेदारों की खरीदारी और मनोरंजन की चिंता हो जाएगी। मेला बाजार नीलामी प्रस्ताव कुछ विरोध के बाद प्रशासन की सहमति से लागू हो गया है। इसकी नीलामी से जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति की कमाई। इससे मंदिर के विकास कार्य और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और शेष को बढ़ाने में ट्रस्ट को मदद मिलेगी। हालांकि कई लोग इसे परंपरा के विपरीत मान रहे हैं। साथ ही परिसर कंपेयर में हर साल जामवाले कनेक्शन से प्रभावित होने का अंदेशा मिलते रहे हैं। लेकिन अब यह लागू हो गया है और फेयर मार्केट में व्यवसाय करने की प्रक्रिया के लिए नीलामी जारी है।
बदली व्यवस्था, बढ़ता हुआ भार इस स्थिति में मिले हुए जॉब करने वाले बिके वाले सामान का दाम बढ़ा सकते हैं। इसका भार अनुपालन परिवार की जेब पर पड़ सकता है। ज़े, मौत का कुआँ, मीना बाज़ार आदि के टिकटों पर दाग का अधिक भार पड़ सकता है. क्योंकि पहले यहां परिसर की दुकानें, स्टॉल और मनोरंजन के विविध संसाधन
फ्री हो जाते हैं।
1935 में भी एक अंग्रेज़ अधिकारी ने जगन्नाथ स्वामी के संस्थापक राजा अनीनाथ शाहदेव के समय से ही फेयर में स्थानीय लोग नौ दिन के मुनाफे में व्यवसाय कर साल भर गुजरने-बसर के लिए धनोपार्जन कर लेते थे। इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही है।
यही प्रथा गत वर्ष के मेले के बनने तक बनी रही। इससे पहले एक बार 1935 में ब्रिटिश उपायुक्त ने भी बाजार की नीलामी की कोशिश की थी, लेकिन राजघराने के विरोध पर वापस ले लिया था।
राँची न्यूज डेस्क !!!