
नयी दिल्ली. भारत देश में फिल्मों के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन कंपनियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने और बड़ी फिल्मों के लिए एकमुश्त सुविधाएं देने पर विचार कर रहा है. केंद्र सरकार दृश्य-श्रव्य सह-उत्पादन के लिए पिछले साल एक प्रोत्साहन योजना लेकर आयी थी, जिसके तहत भारतीय सह-निर्माता भारत में हुए खर्च के 30 प्रतिशत तक नकद प्रतिपूर्ति का दावा कर सकता है, जो अधिकतम दो करोड़ रुपये हो सकती है.
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंगलवार को कहा कि सरकार प्रोत्साहन राशि बढ़ाने पर विचार कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि अन्य देश अपने यहां फिल्मांकन के लिए अधिक आकर्षक सुविधाएं दे रहे हैं. चंद्रा ने यहां चौथे ‘ग्लोबल एवीजीसी एंड इर्मिसव मीडिया समिट’ में यहां कहा, ”हम जल्द ही इस बात की घोषणा करेंगे कि प्रोत्साहन राशि में कितनी बढ़ोतरी की गई है. सरकार इस प्रस्ताव पर अभी विचार कर रही है.” उन्होंने कहा कि सरकार को प्रोत्साहन योजनाओं के तहत देश में फिल्मांकन के लिए निर्माताओं से छह-सात आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर नाखुशी जताई कि इस पहल के बारे में ‘एनीमेशन’ और ‘विजुअल इफेक्ट’ उद्योग के लोगों को जानकारी नहीं थी.
चंद्रा ने कहा कि सरकार जल्द ही एक अलग अंतरराष्ट्रीय एनीमेशन फिल्म महोत्सव आयोजित करने पर भी विचार कर रही है.
उन्होंने कहा कि एनीमेशन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रारंभिक पहल के तौर पर गोवा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में इस तेजी से उभरते क्षेत्र के लिए एक सर्मिपत प्रखंड रखेगी.
उन्होंने कहा कि ‘एनीमेशन’ , ‘विजुअल इफेक्ट’ , ‘गेमिंग’ और ‘कॉमिक्स’ (एवीजीसी) भारत के मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र का 20 प्रतिशत हिस्सा है और यह तेजी से बढ़ रहा है. चंद्रा ने कहा कि राष्ट्रीय एवीजीसी उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जाएगी जिसमें निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी होगी.