ट्रेंडिंग वीडियो
उन्होंने बातचीत में कहा कि यह उनके साथ-साथ आयुर्वेद जगत और शल्य चिकित्सा के लिए बड़े गौरव की बात है। आमतौर पर आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा को लेकर लोगों के अच्छे विचार नहीं आते हैं। ऐसे में इस तरह का सम्मान मिलने से यह तय हो गया है कि सरकार भी आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
2018 में सेवानिवृत्त हुए
प्रो. मनोरंजन साहू ने बताया कि 1978 में पीजी के छात्रों के रूप में आए। 1993 में बीएचयू से ही शिक्षक के रूप में सेवा की शुरुआत की और 2018 में सेवानिवृत्त हुए।
पद्मश्री सम्मान पाने के बाद कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की तपोभूमि में सेवा का अवसर मिलने के बाद यह सम्मान पाना जीवन की बड़ी उपलब्धि है। इस तरह के सम्मान के बाद जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। कहा कि जीवन पर्यंत शल्य चिकित्सा को विफलता पर ले जाने का प्रयास करते रहेंगे।