यहां जो बुजुर्ग अकेले रहते हैं, जिनके पास मनोरंजन के साधन नहीं होते और जो अपने से बिछड़ने का गम रखते हैं, ऐसे शहर के वयोवृद्ध को एक स्थान मिला है। यहां वे कैरम, शतरंज एवं अन्य खेल वातानुकूलित भवन में समय बिताते हैं।
Bilaspur News: खुशी से झूम उठती है बुजुर्गों की जिंदगी मित्रता दिवस विशेष धीरेंद्र सिन्हा ये ‘बापू की कुटिया’ है…जहां उम्र मित्रों से मुलाकात कराती है। निगम द्वारा बुजर्गों का अकेलापन दूर करने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद उद्यान (कंपनी गार्डन) में इसका निर्माण कराया गया है।
इस कुटिया में मित्रों की टोली अपने बचपन को याद करने के साथ दोस्तों संग जिंदगी को खुशहाल बनाते हैं। न्यायधानी में एकमात्र ऐसी कुटिया है जो बुजुर्गों को न सिर्फ सुकून पहुंचाता है बल्कि दोस्तों संग जिंदगी को आनंदमयी बनाता है। बापू की कुटिया एक बहुत अच्छी परंपरा को साथ रखने की योजना है।
यहां जो बुजुर्ग अकेले रहते हैं, जिनके पास मनोरंजन के साधन नहीं होते और जो अपने से बिछड़ने का गम रखते हैं, ऐसे शहर के वयोवृद्ध को एक स्थान मिला है। यहां वे कैरम, शतरंज एवं अन्य खेल के साथ टीवी जैसे मनोरंजन के साधन पूर्णतः वातानुकूलित भवन में समय बिताते हैं। वे यहां अन्य वयोवृद्ध के साथ बातचीत कर अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं।
अपने विचारों, सुख-दुख की बातों का आदान-प्रदान कर पाते हैं। इसी शहर के वयोवृद्ध को मनोरंजन प्रदान करने के लक्ष्य से बापू की कुटिया का कान्सेप्ट लाया गया। यहां शहर के बुजुर्गों को पूरा सम्मान मिलता है। कहने को तो ये ईंट पत्थर की चहारदीवारी है लेकिन इसके अंदर का हरेक शख्स एक दूसरे का रिश्तेदार नहीं है।
बावजूद इसके आपस में एक ऐसा रिश्ता है जो शायद बरसों का रिश्तेदार भी न रखे। ये कुटिया की सच्चाई है। हमारे समाज की कड़वी सच्चाई। फिर भी सब एक-दूसरे का दुख साझा करते हैं, खुशियां मिलकर मनाते हैं। बुजुर्ग और उनके साथ के दो-तीन और वृद्ध आपस में अखबार बांटकर पढ़ते हैं। नास्ता भी बांटकर खाते हैं। घरों में एक कोने में रहने वाले बुजुर्ग इस चहारदीवारी में आकर खुद को बच्चों सा महसूस करते हैं क्योंकि सबको दोस्त मिला है।
Posted By: Manoj Kumar Tiwari