बिहार न्यूज़ डेस्क से छुट्टी को मनोरंजन का अवसर मिला। मेले को लेकर लोग बेसबाल से इंतजार करते थे। मनोरंजन से सभी की मानसिक थकावट दूर होती है।
किसी भी प्रकार के मेले में मनोरंजन के लिए नौटंकी, बाईस्कोप, सलेम, सर्कस, नौटकी, दंगल, मुर्गों की लड़ाई होती थी। लेकिन, अब मनोरंजन के पुराने साधन यादें बन कर रह गए हैं। वर्तमान समय में मनोरंजन का सबसे सस्ता व सुविधाजनक साधन टेलीविजन हो गया है। आज टीवी सब कुछ चाहता है। शायद यही कारण है कि एलाजी एलायगेट से लेकर टेलीविज़न तक का सबसे बड़ा सदस्य है। वहीं मोबाइल ने भी टीवी को पीछे छोड़ दिया है। ग्रामीण व पहाड़ी इलाकों में दिखने वाले मेले को ले महिलाएं बेसहारा से इंतजार करती हैं। मेले में पारंपरिक जलेबी, चाट का स्वाद, टिकली, बिंदी, सिन्दूर और नारियल की दुकान के साथ-साथ नौटंकी का आनंद भी मिलता है। झूला झूलने का आनंद काफी यादगार अवशेष था। वहीं बच्चों के लिए भी खिलौनों की दुकान के साथ बाइक स्कोप का आनंद पद थे। जबकि गरीब तबके के लोग सार्वभौम का पल गुजरात के लिए मेले में रोमांचित होते थे। लेकिन, लोगों के आनंद का साधन समाप्त होने से प्रतिभा का अवसर समाप्त हो गया। निश्चित अनुमान में मनोरंजन का साधन भी बदला गया है। समय के साथ मनोरंजन के साधन उपलब्ध हो गये।
प्राचीन काल से ही मनोरंजन का दौरा शुरू हुआ था प्राचीन काल से ही समाज के अलग-अलग वर्गो का मनोरंजन का अलग-अलग साधन आया था। राजा राजवाड़े मनोरंजन के लिए शिकार खेलने वाले थे। धनी वर्ग चौसर में रमे रहते थे। कहीं द्यूत क्रीड़ा थी तो कहीं गणेश मनोरंजन का साधन बनी हुई थी। कहीं भेड़ों की लड़ाई तो कहीं मुर्गे की। कोई भी कबूतर उड़ाकर मनोरंजन करता था। मेले में आम लोगों के लिए मनोरंजन का साधन जमाना।
समय के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग हैं, अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग जगहें हैं, लेकिन अपना अलग महत्व है। लेकिन, समय परिवर्तन और मेले की भावना समाप्त होने के कारण मनोरंजन का साधन भी बदल गया। कटपुतली की नाच, नाटक, नौटंकी के बाद पहले धूम का दौर आया। सिनेमा ने हर लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली। युवाओं में आज भी इसकी प्रतिपुष्टि का आकलन किया जा सकता है। सिनेमा हॉल के बाद टेलीविज़न का दौर आया। शुरुआती दौर में इस पर दूरदर्शन का एकाधिकार था। चैनलों की भरमार होती ही केबल-डिश का जमाना आ गया। सुपरस्टार के माध्यम से लोग सैकड़ों चैनलों का आनंद उठाते हैं। घर बैठे पूरे परिवार के मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन टेलीविजन बन गया। समाचार, धारावाहिक, खेल, सिनेमा के साथ सैकड़ों ज्ञानवर्धक चैनल, बच्चों के लिए कार्टून चैनल की जानकारी। टेलीविज़न ने सभी उम्र के लोगों का प्रोविजन रखा। आज चैनलों की भरमार है. स्थिति यह है कि फूस की दुकान भी डिश एंटिना मिल पर होगी। टेलीविज़न के बाद अब हेयरस्टाइल फोन ने अपनी जगह बना ली है।
रोहतास न्यूज़ डेस्क