मनोरंजन मनोरंजन-राजेन्द्र जुबली कुमार दो अंतिम मुंबई शेरधन राईJuly 13, 2023 मनोरंजन-राजेन्द्र जुबली कुमार दो अंतिम मुंबई राज्य » गुजरात/महाराष्ट्रयहां पोस्ट किया गया: 11 जुलाई 2023 10:49 पूर्वाह्न वर्ष 1959 में प्रदर्शित विजय भट्ट की संगीतमय फिल्म गूंज में शहनाई के सहायक अभिनेता राजेंद्र कुमार के सिने कैरियर की सबसे पहली हिट साबित हुई। वही वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म मेरे साहब की जादुई शक्ति के बाद राजेंद्र कुमार शोहरत की बुंदलियाँ पर जागीर। इसलिए अपनी इन फिल्मों के कलाकारों के बाद भी उन्होंने वर्ष 1964 में प्रदर्शित फिल्म संगम में राजकपूर के सहनायक की भूमिका स्वीकार कर ली जो उनके फिल्मी किरदार से मेल नहीं खा पाई थी। इसके बावजूद राजेंद्र कुमार यहां भी दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।साल 1963 से 1966 के बीच वॉइस राउंड में राजेंद्र कुमार की लगातार छह फिल्में हिट रहीं और कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं हुई। मेरे हबल (1963) गुलाब, संगम और आई मिलन की बेला, (1964), आरजू। (1965) और सूरज (1966) सभी ने सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली पर सुपरस्टार बनाए।इन फिल्मों के बाद राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब मुंबई के सभी दस सुपरस्टार्स में उनकी ही फिल्में लगीं और सभी फिल्में सिल्वर जुबली से खराब हो गईं। यह फिल्म काफी लंबे समय तक बनी रही। उनकी फिल्मों की फिल्मों को देखते ही उनके फैन ने उनका नाम जुबली कुमार रख दिया।खन्ना के आगमन के बाद परदे पर होने वाले रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता राजेश के प्रति दर्शकों का प्यार कम हो गया। इसे देखते हुए राजेंद्र कुमार ने कुछ समय के विश्राम के बाद 1978 में साजन बिना सुहागन फिल्म से किरदार निभाने की शुरुआत की। साल 1981 में राजेंद्र कुमार के साइन करियर का अहम खुलासा हुआ। अपने बेटे कुमार गौरव को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए उन्होंने लव स्टोरी का निर्माण और निर्देशन किया, जिसने ओपेरा थियेटर पर दमदार ताकत हासिल की।इसके बाद राजेंद्र कुमार ने कुमार गौरव के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए नाम और फूल फिल्में बनाईं लेकिन पहली फिल्म की सफलता का श्रेय संजय दत्त को मिला जबकि दूसरी फिल्म बुरी तरह पिट गई और इसके साथ ही कुमार गौरव के कैरियर पर भी फिल्म बनाई तलाक लग गया।राजेंद्र कुमार के फ़िल्मी योगदान को देखते हुए 1969 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। नए दशक में राजेंद्र कुमार ने फिल्मों में काफी कम काम किया। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राजेंद्र कुमार 12 जुलाई 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। राजेंद्र कुमार ने अपने करियर में लगभग 85 फिल्मों में काम किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में तलख, संत, कूड़े का फूल, पतंग, धर्मपुत्र, घराना, हमाराही, आई मिलन की बेला, सूरज, पालकी, दोस्त, गोरा और काला, अमन, गीत, गंवार, धरती, दो जासूस, साजन बिना शामिल हैं। सुहागन, साजन की सहेली, बिन फेरे हम तेरे, फूल आदि।प्रेमबातचीत
राज्य » गुजरात/महाराष्ट्रयहां पोस्ट किया गया: 11 जुलाई 2023 10:49 पूर्वाह्न वर्ष 1959 में प्रदर्शित विजय भट्ट की संगीतमय फिल्म गूंज में शहनाई के सहायक अभिनेता राजेंद्र कुमार के सिने कैरियर की सबसे पहली हिट साबित हुई। वही वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म मेरे साहब की जादुई शक्ति के बाद राजेंद्र कुमार शोहरत की बुंदलियाँ पर जागीर। इसलिए अपनी इन फिल्मों के कलाकारों के बाद भी उन्होंने वर्ष 1964 में प्रदर्शित फिल्म संगम में राजकपूर के सहनायक की भूमिका स्वीकार कर ली जो उनके फिल्मी किरदार से मेल नहीं खा पाई थी। इसके बावजूद राजेंद्र कुमार यहां भी दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।साल 1963 से 1966 के बीच वॉइस राउंड में राजेंद्र कुमार की लगातार छह फिल्में हिट रहीं और कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं हुई। मेरे हबल (1963) गुलाब, संगम और आई मिलन की बेला, (1964), आरजू। (1965) और सूरज (1966) सभी ने सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली पर सुपरस्टार बनाए।इन फिल्मों के बाद राजेंद्र कुमार के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब मुंबई के सभी दस सुपरस्टार्स में उनकी ही फिल्में लगीं और सभी फिल्में सिल्वर जुबली से खराब हो गईं। यह फिल्म काफी लंबे समय तक बनी रही। उनकी फिल्मों की फिल्मों को देखते ही उनके फैन ने उनका नाम जुबली कुमार रख दिया।खन्ना के आगमन के बाद परदे पर होने वाले रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता राजेश के प्रति दर्शकों का प्यार कम हो गया। इसे देखते हुए राजेंद्र कुमार ने कुछ समय के विश्राम के बाद 1978 में साजन बिना सुहागन फिल्म से किरदार निभाने की शुरुआत की। साल 1981 में राजेंद्र कुमार के साइन करियर का अहम खुलासा हुआ। अपने बेटे कुमार गौरव को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए उन्होंने लव स्टोरी का निर्माण और निर्देशन किया, जिसने ओपेरा थियेटर पर दमदार ताकत हासिल की।इसके बाद राजेंद्र कुमार ने कुमार गौरव के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए नाम और फूल फिल्में बनाईं लेकिन पहली फिल्म की सफलता का श्रेय संजय दत्त को मिला जबकि दूसरी फिल्म बुरी तरह पिट गई और इसके साथ ही कुमार गौरव के कैरियर पर भी फिल्म बनाई तलाक लग गया।राजेंद्र कुमार के फ़िल्मी योगदान को देखते हुए 1969 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। नए दशक में राजेंद्र कुमार ने फिल्मों में काफी कम काम किया। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राजेंद्र कुमार 12 जुलाई 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। राजेंद्र कुमार ने अपने करियर में लगभग 85 फिल्मों में काम किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में तलख, संत, कूड़े का फूल, पतंग, धर्मपुत्र, घराना, हमाराही, आई मिलन की बेला, सूरज, पालकी, दोस्त, गोरा और काला, अमन, गीत, गंवार, धरती, दो जासूस, साजन बिना शामिल हैं। सुहागन, साजन की सहेली, बिन फेरे हम तेरे, फूल आदि।प्रेमबातचीत
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