भागवत कथा मनोरंजन का साधन नहीं, जन भागवत के रूप हैं – सीताराम शास्त्री – लगातर

जमशेदपुर (धर्मेन्द्र कुमार) : विष्णुपुर तुलसी भवन में सप्ताह सहभागी श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस शनिवार को हरिद्वार से पधारे कथावाचक सीताराम शास्त्री ने व्यास पृष्ट से भागवत की महिमा का गुणगान किया किया. उन्होंने भागवत महात्म्य, भीष्म स्तुति, परीक्षित शुकदेव संवाद, वीडियो चरित्र के प्रसंग का सुंदर व्याख्यान. श्रीमद् भागवत कथा के विषय विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा गया कि भागवत कथा मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि जन जागरण का रूप है हैं. नकारात्मक मानसिक विचारधारा से ही मनुष्य का पतन होता है हैं. श्रीमद भागवत कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ है है. श्रीमद्भागवत के कथन से भक्त का कल्याण होता है और जीवन में सुख व शांति का अनुभव होता है है. श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का अवसर बड़े ही सौभाग्य से प्राप्त होता है है. इसके श्रवण से सभी कष्टों का निवारण होता है और सुख, शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है है. व्यास ने कहा कि भी सदगुण होते हैं वे सभी भगवान के द्वारा ही प्राप्त होते हैं हैं. मनुष्य को भगवान के प्रति ही कृतज्ञ होना चाहिए. शास्त्री जी ने आगे कहा कि मेरे पास तभी मैं सेवा करूंगा ऐसी भावना मन में नहीं होनी चाहिए चाहिए. बल्कि मैं सेवा जायेंगे तभी मेरे पास होगी ऐसी भावना रखनी चाहिए.

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आरती के प्रसाद का वितरण हुआ

व्यास पूजन से भागवत कथा का समापन हुआ. यजमान जया डोकानिया, लता अग्रवाल, माजू खंडेलवाल, प्रभा पाडिया, विभा दुदानी, बीना अग्रवाल, अर्थशास्त्री संध्या, ज्योत्सना अग्रवाल एवं सुशीला खेडवाल ने संयुक्त रूप से पूजा की मित्र. इस दौरान सहायक विलंबित संघ तक कथा में जमे हुए रहे. कथा के अंत में आरती के बाद लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया किया गया. भागवत कथा के दौरान महिला मंच की संस्थापिका सुशीला मोहनका को प्रस्तुति दी गया. शुला मोहनका का निधन 2 जुलाई रविवार को हो गया था. भागवत कथा का पुण्य मृत चमत्कारों को भी प्राप्त हुआ हो साक्षात निकोलस की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की गई।

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